नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने होटल हयात रीजेंसी में आयोजित समारोह में टैक्स के बारे में कहा कि ऐसा कोई देश नहीं है, जहां पर सिर्फ पांच फीसदी टैक्स पड़ता हो। उन्होंने बताया कि आगामी बजट में बुनियादी ढांचा, ग्रामीण भारत पर विशेष जोर दिया जाएगा।
जीडीपी ग्रोथ को लेकर कहा कि दस फीसदी ग्रोथ चुनौतीपू्र्ण आंकड़ा है। यह केवल घरेलू कारणों पर ही आधारित नहीं है। पूरे दुनिया किस दिशा में जा रही है, इसका भी काफी फर्क पड़ता है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि भारत ने सिर्फ नया ढांचा ही नहीं बनाया है, बल्कि हर एक नए ढांचे को एक निश्चित दिशा भी दी है। वहीं, उन्होंने कहा कि आज के समय में भारत पहले के मुकाबले ज्यादा ग्लोबली जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि घरेलू मांग से विकास बेहतर होगी। वहीं निर्यात को लेकर हमें ध्यान रखना होगा और उम्मीद भी बनाई रखनी होगी।
जीएसटी से फायदा
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी पर कहा कि इसकी वजह से 16-17 तरीकों के टैक्स की जगह एक ही तरह का टैक्स आ गया है। देश में जीएसटी के लागू होने के बाद से तमाम बैरियर हट गए हैं, जिसकी वजह से देश मार्केट बन गया है। उन्होंने आगे कहा कि यह संभव नहीं है कि एक ही जीएसटी रेट रखा जाए। यदि सरकार कम जीएसटी रेट लागू करती तो महंगाई पहले और बढ़ जाती।
50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ ही देश की आर्थिक विकास दर सात से आठ प्रतिशत पर बनी हुई है और देश को अगले पांच वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की दरकार है। जेटली ने कहा कि भारत ने विकास दर का सात से आठ फीसदी के बीच मानकीकृत कर लिया है। यदि इसमें गिरावट आती है तो यह सात प्रतिशत की ओर लुढ़कती है और यदि इसमें तेजी आती है तो यह आठ प्रतिशत की ओर बढ़ती है। अभी सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था 2.5 लाख करोड़ डॉलर के करीब है।
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वित्तीय घाटा हुआ कम
उन्होंने कहा कि सरकार चालू खाता घाटा को नियंत्रित रखने में सक्षम है और पिछले कुछ वर्षों में भारत वित्तीय घाटा को कम करने में सफल रहा है। इस तरह कुल मिलाकर भारत उस स्थिति करीब है जहां देश जितना कमाएगा उतना व्यय कर सकेगा और तुलनात्मक रूप से ऋण कम लेना होगा। उन्होंने कहा कि भारत पिछले कुछ वर्षों से वित्तीय घाटा का लक्षित दायरे में रखने में सफल रहा है और चालू वित्त वर्ष में भी इसको हासिल करेगा। चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा को जी.डी.पी. के 3.2 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया गया है। पिछले वित्त वर्ष में यह 3.5 प्रतिशत रहा था। सुधारों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने संरचनात्मक सुधार किए हैं और इनकी कोई अंतिम लाइन नहीं